खाटू श्याम जी की कथा: यहाँ हर किसी की मनोकामना पूरी होती है

खाटू श्याम जी की कथा, यहाँ हर किसी की मनोकामना पूरी होती है: भारतीय हिंदू धर्म में भगवान खाटू श्याम जी की बहुत मान्यता है, कोलकाता, दिल्ली, राजस्थान में भगवान खाटू श्याम जी के बहुत प्रसिद्ध मंदिर हैं, इन स्थानों पर एकादशी के दिन भव्य पूजा की जाती है और मेले भी आयोजित किये जाते हैं। जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।

इन मंदिरों में श्रीकृष्ण के कलयुगी अवतार को श्याम के नाम से पूजा जाता था। आज हम आपको खाटू श्याम मंदिर के बारे में बताएंगे और यह भी बताएंगे कि देश के किन शहरों में भगवान खाटू श्याम जी के विशाल मंदिर स्थित हैं। तो आइये बिना समय बर्बाद किये भक्ति के इस सागर में गोते लगायें।

जैसे की खाटू श्याम जी को कलयुग का सबसे प्रसिद्ध भगवान जी माना जाता है।राजस्थान के जिले में स्थित खाटू गांव में बने खाटू श्याम जी के मंदिर की हिंदू भक्तों में बहुत श्रद्धा है। जैसे की भक्तों का कहना है कि खाटू श्याम बाबा जी से जो भी मांगों, वो लाखों-करोड़ों बार देते है।

जानिए खाटू श्याम जी की कथा और मंदिर के बारे में:

जैसा कि आपको पता होगा कि खाटू श्याम जी का मंदिर महाभारत काल में ही बनकर तैयार हो गया था। यहां पर भगवान कृष्ण खाटू श्याम बाबा के रूप में स्थापित है। श्याम बाबा मंदिर में खाटू श्याम की मूर्ति उनके सिर के रूप में है, जो खाटू गांव के कुंड में दबा मिला था। पूरा मंदिर मकराना संगमरमर और टाइल्स से बना है।

यहां एक प्रार्थना हॉल भी है, जैसे की खाटू श्यामजी के मंदिर का प्रवेश द्वार और निकास द्वार संगमरमर से बने हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने एक खुली जगह और पास में एक सुंदर बाग भी है। जिसे श्याम बाग कहा जाता है। कहा जाता हे की इस बाग में भगवान खाटू श्याम को अपर्ण करने के लिए फूल चुने जाते हे।

खाटू श्याम जी की कथा जानिए:

श्री खाटू श्याम जी की कथा सुनने से मन को शांति और सुख की अनुभूति होती है। इस खाटू श्याम जी की कथा को मंदिरों में गा गाकर सुनाया जाता हैं। जिससे खाटू श्याम जी की कथा को सुनने में और भी आनंद प्राप्त होता हैं।

भारतीय सांस्कृतिक विरासत का एक अनोखा हिस्सा, खाटू श्याम मंदिर, जयपुर, एक धार्मिक स्थान है जहाँ भगवान कृष्ण की भक्त और भक्ति का अत्यधिक महत्व है। इस मंदिर का इतिहास बहुत ही रोचक और उत्कृष्ट है।

खाटू श्याम मंदिर, राजस्थान के सीकर ज़िले के एक प्रसिद्ध गांव में है. यह मंदिर, 1027 ईस्वी में रूपसिंह चौहान और नर्मदा कँवर ने बनवाया था. इस मंदिर में, भीम के पौत्र और घटोत्कच के ज्येष्ठ पुत्र बर्बरीक के सिर की पूजा होती है.

और ये वे बलवान गदाधारी भीम और नाग कन्या मौरवी के पुत्र थे। हम अपोक बता दे की खाटू श्याम जी का नाम बर्बरीक था। जैसे की इन्हे बचपन से ही उनमे योद्धा बने के सभी गुड़ थे। और इन्होने भगबान शिव की घोर तपस्या करके तीन बाण प्राप्त कर लये थे।

जब उन्हें पता चला कि कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध होने वाला है। तो उन्होंने युद्ध में सामिल होने के लये इच्छा जताई। जब ये युद्ध के लये अपनी मां के पास आशीर्वाद लेने पहुंचे तो। पांडव ब्राह्मण का रूप धारण कर उनका मजाक उड़ाने लगे की वे तीन बाण से क्या युद्ध लड़ेंगे । बर्बरीक ने कहा कि उनका एक बाण ही शत्रु सेना को मारने के लिए काफी है।

भगवान श्रीकृष्ण जानते थे की बर्बरीक ने तीन तीरों का इस्तेमाल किया तो ब्रह्मांड का विनाश हो जाएगा। तो इसलये भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को चुनौती दी और बोले भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को चुनौती दी कि पीपल के इन सभी पत्तों में छेद करके बताओ।

उनकी परीक्षण लेने के लिए श्रीकृष्ण ने एक पत्ती अपने पैरों के नीचे दबा ली। बर्बरीक ने अपने एक बाण से सभी पत्तियों पर निशान कर दिए और श्रीकृष्ण से कहा कि एक पत्ता आपके पैर के नीचे दबा हुआ है। अपने पैर हटा लीजिए वरना आपके पैरों पर चोट लग जाएगी।

और इसके बाद श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से पूछा कि वे युद्ध में किसकी तरफ से शामिल होंगे। बर्बरीक ने बताया कि जो पक्ष हारेगा में उनकी तरफ से युद्ध लडूंगा। श्रीकृष्ण को पता था कि युद्ध में हार तो कौरवों की होनी है,और ऐसे में अगर बर्बरीक ने उनके साथ यद्ध लड़ा तो गलत नतीजा सामने आ सकता हैं। और श्रीकृष्ण जी बर्बरीक को रोकने के लिए उनसे दान की मांग स्पष्ट की। और श्रीकृष्ण जी ने दान में उन्होंने बर्बरीक का सिर मांगा।

और बर्बरीक जो आप ने माँगा मैं दान जरूर दूंगा। और बर्बरीक ने श्रीकृष्ण के चरणों में अपना सिर काट कर रख दिया। और बर्बरीक ने श्रीकृष्ण जी से अपनी आखिरी इच्छा व्यक्त की। और बोलै की वे महाभारत का युद्ध अंत तक अपनी आंखों से देखना चाहते हैं। और श्रीकृष्ण ने उनकी इच्छा स्वीकार करते हुए बर्बरीक के सिर को युद्ध वाली जगह पर एक पहाड़ी के ऊपर रख दिया जहां से बर्बरीक ने अपनी आंखों से अंत तक महाभारत युद्ध देख सके।

और युद्ध के बाद पांडव लड़ने लगे कि युद्ध में जीत का श्रेय किसको जाता है। तब बर्बरीक ने कहा कि श्रीकृष्ण के कारण वे युद्ध जीते हैं। श्रीकृष्ण बर्बरीक के इस बलिदान से बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें कलयुग में श्याम के नाम से पूजे जाने का अनमोल वचन दिया।

खाटू श्याम भगवान को हारे का सहारा कहा जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने अपनी मां से कहा था कि युद्ध में जो भी हारेगा, मैं उसके साथ रहूंगा।

जानिए खाटू श्याम जी का मंदिर किसने बनवाया था?

खाटू श्याम जी का मंदिर राजस्थान, भारत में स्थित है और यह श्री खाटू श्याम जी को समर्पित है, जो कृष्ण भगवान के एक स्वरूप के रूप में पूजे जाते हैं। इस मंदिर का निर्माण खाटू गांव के शासक राजा रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंवर द्वारा सन् 1027 में बनवाया गया था।

कहाँ कहाँ पर स्थित हैं खाटू श्याम जी के मंदिर?

आपको बतादें की खाटू श्याम जी के मंदिर केवल जयपुर तक सिमित नहीं हैं बल्कि दिल्ली, कोलकाता, उत्तरप्रदेश में भी इनके भव्य मंदिर हैं।

दिल्ली के अलीपुर में हाल ही में खाटू श्याम का एक मंदिर बना है, जो दिल्ली धाम के नाम से जाना जा रहा हैं।

यह मंदिर दिल्ली के जीटी करनाल रोड के किनारे स्थित तिबोली गार्डन के पास एक लाख वर्ग गज जगह पर यह मंदिर बना हुआ है। यहां मंदिर के साथ ही 36 धाम, 36 घाट और 19 मंजिला धर्मशाला का भी निर्माण हो रहा है।

कोलकाता के कई जगहों पर बाबा श्याम का मंदिर है, ऐसी मान्यता है कि इन मंदिरों में जाते ही श्याम जी सबकी मनोकामना पूरी कर देते है। कोलकाता में खाटू श्याम जी के भक्त काफी ज्यादा हैं, क्योंकि वहां राजस्थानियों की आबादी बहुत ज्यादा है।

कोलकाता के घुसरीधाम, बांगुर, आलमबाजार में श्याम जी का मंदिरहै। घुसरीधाम का मंदिर बहुत पुराना है और यहां हर एकादशी पर बाबा श्याम की सजावट होती है और भोग लगाया जाता हैं।

अब उत्तरप्रदेश की बात करें तो यहाँ भी मनोरमा धाम जगह पर खाटू श्याम जी का एक भव्य मंदिर बनाया जा रहा हैं। और यहाँ जाने वाले भक्तों की भी संख्या बढ़ने पर हैं। यहाँ के लोगों का कहना हैं की यहाँ पर भी मनोकामना पूरी हो रही हैं।

यदि आप दिल्ली, कोलकाता, उत्तरप्रदेश में रहते हैं और राजस्थान भगवान खाटू श्याम जी के दर्शन करने में असमर्थ है तो इन जगहों पर आप जाकर दर्शन कर पाएंगे।

जानिए खाटू श्याम जी के आरती और दर्शन का समय :

अगर आप खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए जा रहे हैं तो आपको मंदिर के दर्शन और आरती का समय जरूर पता होना चाहिए यहां पर गर्मी और सर्दियों का समय अलग-अलग होता है। जैसे की खाटू श्याम मंदिर में आरती पांच चरणों में होती है: मंगला आरती, धूपशृंगार आरती, भोग आरती, संध्या आरती, शयन आरती।

खाटू श्याम जी के मंदिर में आरती और दर्शन का समय स्थानीय प्रथाओं और नियमों पर निर्भर करता है। मंदिर में दर्शन का समय मौसम और खास दिनों के हिसाब से बदलता रहता है। खाटू श्याम जी मंदिर में भक्तों के लिए खाटू श्याम जी मंदिर के दर्शन का समय सर्दियों में मंदिर सुबह 5:30 बजे से दोपहर 1 बजे तक और शाम 5 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है। और गर्मियों में मंदिर सुबह 4:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक और शाम 4 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है.।

खाटू श्याम जी की कथा बहुत प्रचलित है और हर हिंदू इससे भली-भांति परिचित है। और खाटू श्याम जी की कहानी से हर किसी को परिचित होना चाहिए। लोग भजनों और गीतों के माध्यम से इन्हीं खाटू श्याम जी की कथा सुनते हैं। और खाटू श्याम जी की कथा सुनने के बाद हमारे मन को शांति मिलती है। खाटू श्याम जी की कथा अलग-अलग इतिहासों में अलग-अलग रूपों में विस्तृत है। लेकिन खाटू श्याम जी की कथा का अर्थ सबमें एक ही है, वह है त्याग और बलिदान।

उम्मीद करते हैं आपको यहाँ दी गयी जानकारी अच्छी लगी होगी, और आपसे अनुरोध है की आप अपने दोस्तों और संबंधियों के साथ भी इस आर्टिकल को शेयर करें ताकि वो भी खाटू श्याम जी की कथा के बारें में जान सकें। और अपनी मनोकामनाओं को पूरा करें।

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मेरा नाम रितेश राजपूत है. मैं एक डिजिटल कंटेंट राइटर, क्रिएटर हूं। मैं पिछले दो वर्षो से लोगों को टेक्नोलॉजी, करियर, खेलकूद जैसे विषयों पर सरल भाषा में जानकारी उपलब्ध करा रहा हूं।

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